संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय, भोपाल म.प्र. प्राचीन भारतीय संस्कृति में मृणमूर्तियों का अत्याधिक महत्व है इनके परम्परा सतत् चली आ रही थी जो हमें हडप्पा काल से वर्तमान काल तक देखने को मिलती है। प्रदर्शनी में हडप्पा कालीन, कुषाण कालीन, शुंग कालीन, सात वाहन कालीन, परमार कालीन मृणमूर्तियों को प्रदशित किया जा रहा है। यह सभी उज्जैनी क्षेत्र से प्राप्त मृणमूर्तियॉ है। जो अश्वनी शोध संस्थान महीदपुर, उज्जैन के संयुक्त तात्वाधान से प्रदर्शित की जा रही है। साथ ही प्राचीन प्रतिमा विज्ञान व मृणमूर्ति कला व प्राचीन सिक्कों की परम्परा एवं विदिशा धरोहर, उदयपुर के संबंध में व्याख्यान माला का आयोजन किया जा रहा है।
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