खजुराहो अदिवर्त्त जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को चित्र प्रदर्शनी और चित्रों की बिक्री के लिये सार्थक मंच उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रतिमाह 'लिखन्दरा प्रदर्शनी दीर्घा' में किसी एक जनजातीय चित्रकार की प्रदर्शनी सह विक्रय का संयोजन शलाका नाम से किया जाता है। इसी क्रम में 3 जनवरी, 2024 से भील समुदाय के चित्रकार श्री मुकेश बारिया के चित्रों की प्रदर्शनी सह-विक्रय का संयोजन किया गया है। 9वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 30 जनवरी,2024 तक निरंतर रहेगी। वर्ष 1984 में जन्में मुकेश बारिया भील समुदाय के युवा चित्रकार हैं। आपका जन्म ग्राम-छोटी बावड़ी, जिला-झाबुआ (मध्यप्रदेश) में हुआ है। आपके माता-पिता मजदूरी करते थे। छ: भाई-बहनों में सबसे छोटे मुकेश ने हायर सेकेण्डरी तक की शिक्षा ग्रहण की है। उन्हीं दिनों रोजगार की तलाश में माता-पिता राजधानी भोपाल आकर रहने लगे, तब से भोपाल ही आपका स्थाई निवास हो गया। भील समुदाय की चित्रकार गीता बारिया से आपका विवाह हुआ है। शुरुआत में आपने उनको चित्रकारी में सहयोग किया। यहीं से चित्रकारी के प्रति प्रेरणा और आवश्यक प्रोत्साहन मिला। पत्नी गीता बारिया की संगत में चित्रकला के प्रारंभिक गुर आपने सीखे और स्वतंत्र चित्रकारी करना शुरू किया। प्रारम्भ में उनके बनाए हुए चित्रों की प्रतिकृतियाँ बनाने का अभ्यास किया, फिर धीरे-धीरे स्वयं की शैली विकसित की। आप पिछले लगभग पन्द्रह वर्षों से चित्रकारी कर रहे हैं और अपने जीवनानुभवों और जातीय संस्कार-बोध को रूपाकार दे रहे हैं। आपके चित्रों में पशु-पक्षी, पेड़-पौधे एवं अपने पास-पड़ोस के वातावरण की झलक प्रमुखता से दिखाई देती है। आपने दिल्ली, मैसूर, बैंगलोर, हैदराबाद एवं विभिन्न कला-प्रदर्शनियों एवं चित्र-शिविरों में सक्रिय भागीदारी की है। कई प्रतिष्ठानों एवं संस्थानों के संग्रह में आपकी कला-कृतियों को संकलित किया गया है। आप अपनी सफलता का सम्पूर्ण श्रेय पत्नी गीता बारिया को देते हैं, जिनके मार्गदर्शन ने आपके कलापक्ष को और सुघड़ बनाने में मदद की। सम्पर्क - मोबाइल - 9179417614
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